Header Ads Widget

Responsive Advertisement

सऊदी अरब में एक हिंदू का जीवन कैसा है?

 

सऊदी अरब में एक हिंदू का जीवन कैसा है?



सऊदी अरब में किसी को जीवन को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक हैं। एक यहां का लोग , दूसरा यहां का कानून।

सऊदी लोगों का हिंदुओ के प्रति नज़रिया

सऊदी में हिंदुओं के जीवन से जुड़े सवालों और सुनी सुनाई बातों के कारण कुछ डर लेकर लगभग 6 साल पहले मैं यहां आई थी। मुझे यहां 1 वर्ष हो चुका था कि मेरा दूसरे शहर में स्थानांतरण हो गया। मैं अपने लिए एक घर ढूंढ रही थी। मेरे सहकर्मी और सभी जानकारों ने मुझे सलाह दी कि मैं किसी सऊदी का घर किराए पर ना लूं क्योंकि सऊदी लोग अच्छे नहीं होते इससे पहले मैं जिस शहर में रहती थी वहां एक बड़ी इमारत थी जिसमें सभी भारतीय रहते थे। सऊदी लोगों से ज़्यादा वास्ता नहीं पड़ा था।

एक जानकार ने मुझे किसी सऊदी का घर बताया थोड़ा सा डर तो लग रहा था फिर भी मैं हिम्मत करके घर देखने चली गई ।दरअसल मैं लोगों की सुनी सुनाई बातों पर आसानी से यकीन नहीं करती हूं, मैं खुद चीजों को परखती हूं तभी राय बनाती हूं इसीलिए कई बार रिस्क भी ले लेती हूँ लेकिन संभाल कर। जो घर देखने गई वहां एक बुजुर्ग दंपति रहते थे। उनकी बेटियां साथ में रहती थी। इनके बेटे पढ़ाई था नौकरी के लिए दूसरे शहरों में रहते थे मुझे परिवार से मिलकर अच्छा लगा और मेरा डर काफी कम हो गया। इन लोगों का व्यवहार देखकर मैंने इस घर को फाइनल कर दिया और शिफ्ट कर लिया।

ये मेरा पहला ही दिन था, दंपति मुझसे मिलने आए।बातें होने लगी। ऐसी बातों बातों में

उन्होंने पूछातुम्हारा धर्म क्या है?”

यह सुनकर मैं थोड़ा सकपका गई मैन दबी सी आवाज़ में बोलाजी, गैर मुस्लिममुझे लगा धर्म जानते ही शायद इन लोगों का व्यवहार बदल जायेगा।

दंपति ने एक दूसरे की तरफ देखा। मकान मालिक बोलेहिन्दुज़”?

मैंने हां में सिर हिलाया।

उन्होंने कहा “ देखो बेटा, तुम हमारी बेटी जैसी हो। मैं समझ सकता हूं कि दूसरे देश में जाना कैसा लगता है । जब वहां कोई आपकी मदद करने वाला ना हो तो आपको कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मैं भी कई बार भारत गया हूं हमेशा चाहता था कि काश कोई मुझे मिले जो मुझे मेरी मदद करें। तुम्हे किसी प्रकार की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है।आज से तुम हमारी बेटी हो और तुम मुझे बाबा ही बुलाओगी और इन्हें मामा (माँ)। कभी कोई डोरबेल बजाए, यदि आवाज़ न पहचानों तो दरवाज़ा मत खोलना बस बाबा को एक आवाज़ लगाना”

आप यकीन नहीं करेंगे ,उस परिवार में मेरी कितनी मदद की और मेरा कितना ध्यान रखा। हर रोज शाम को मेरे कॉलेज से आते ही मामा पूछने आती थी कि क्या सब कुछ ठीक है ।कोई दिक्कत तो नहीं है । किसी दिन में कॉलेज से देरी हो जाती थी तो उनका फोन पहुंच जाता था कि अभी तक घर क्यों नहीं पहुंची हो । मैं कभी भारत आई होती थी ,वापिस जाने पर घर पहुंचने से पहले ही मामा मेरे घर का दरवाजा खोल देती थीं, घर साफ करवा देती थीं और मेरे लिए खाना बना कर तैयार रखती थी। जब कहीं बाहर जाते तो हमेशा मुझे साथ चलने को कहते।इन लोगों से ही मुझे अरबी सीखने को मिली क्योंकि बातचीत करने का कोई और ज़रिया नहीं था।

इस परिवार के साथ रहने के बाद से मेरा डर खुल गया और मैंने अब लोगों की बिना परखी बातें सुननी बिल्कुल बंद कर दी। सऊदी लोगों से बातचीत करनी शुरू कर दी। मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं किसी और धर्म से हूँ। यहां लोगों से बहुत सम्मान और प्यार मिलता है। यहां मैं सबके लिए भारतीय हूँ, हिन्दू या मुसलमान नहीं। यहां के ज़्यादातर लोगों को इससे ज़रा भी फर्क नहीं पड़ता कि आपका धर्म क्या है। कार्यस्थल हों या घर सब भारतीयों को एक नज़र से देखा जाता है।




हिंदुओं के लिए कानून

हिंदुओं के लिए अलग से मुख्यतः तीन कानून हैं।

  •  यहां कोई मंदिर नहीं है, आप अपने घर में पूजा पाठ कर सकते हैं। आधिकारिक तौर पर ईद के अलावा       कोई त्यौहार नहीं मनाया जाता लेकिन आप अपने घर में , मित्रों के साथ , कोई भी त्यौहार मना सकते हैं।
  •  ग़ैर मुस्लिम मक्का और मदीना की यात्रा नहीं कर सकते। मेरे विचार में इससे भी किसी हिन्दू को कोई       फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
  •     सभी महिलाओं को अबाया ( एक गाउन) पहनना होता है। चेहरा या सिर ढकना ज़रूरी नहीं है। आजकल काफी बदलाव हो रहे हैं। अबाया काले रंग का ज़रूरी नहीं है, किसी भी रंग का हो सकता है।


तो सऊदी अरब में हिंदुओं का जीवन कैसा है के लिए मेरा जवाब है लगभग वैसा ही जैसा सऊदी में भारतीय मुसलमानों का है।


===============================**=====**==================================

Post a Comment

0 Comments