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भिखारी की भिक्षा

 

भिखारी की भिक्षा



एक गांव में एक भिक्षु अपने पत्नी के साथ रहता था वह भिक्षु बहुत ही दयालु और अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति था। पर वह अपना जीवन यापन भिक्षा मांगकर ही पूरा करता था। वह भिक्षु सुबह उठकर नहाता और भगवान की पूजा करता और फिर पूजा करने की बाद भिक्षा मांगने के लिए निकल पड़ता।

वह भिक्षु रोजाना की तरह एक दिन भिक्षा मांगने के लिए गया था। वह भिक्षु हमेशा अपने गांव के आसपास के क्षेत्र में भिक्षा मांगने के लिए जाता था। जब वह भिक्षा मांग रहा था तब उस भिक्षु को दो व्यक्ति देख रहे थे। उस दोनों व्यक्ति में से एक व्यक्ति बहुत ही धनवान था और दूसरा व्यक्ति उसका दास था।
वह दास उस धनवान व्यक्ति का हर कार्य करता था चाहे वह घर के कार्य हो या फिर बाहर के और जब भी धनवान व्यक्ति कहीं घूमने जाता तो वह उस दास को अपने साथ ले जाया करता था वे दो व्यक्ति एक रूप से बड़े ही समृद्ध और धनवान व्यक्ति थे।
उस धनवान व्यक्ति ने अपने दास से बोला मेरे पास कुछ सोने के सिक्के रखे हुए हैं तुम इन सिक्के को, जो मैं तुम्हें देता हूं, तुम उस भिक्षु के पास जाओ और उसे अपने पास बुला कर लाओ और इस सोने के सिक्के को तुम उस भिक्षु को दे दो।
 

वह दास अपने मालिक से सोने के सिक्के ले लेता है और फिर वह दास ऐसा ही करता है जैसे मालिक ने उससे करने को कहा था। फिर वह दास उस भिक्षु को अपने मालिक से परिचय करवाता है और बताता है कि या मेरे मालिक है।
यह बहुत ही धनवान है मैं इन्हीं के यहां कार्य करता हूं और यह मुझे एक अच्छे दोस्त की तरह मानते हैं जब इन्होंने आपको भिच्छा मांगते देखा तब उन्होंने बोला कि यदि तुम्हारे पास कुछ सोने के सिक्के रखे हैं तो तुम इस भिक्षु को दे दो।
जब वह दास उन सोने के सिक्के को उस व्यक्ति को दे दिया तो वह बहुत ही प्रसन्न हो गया और उनके चरण स्पर्श करने लगता है। जब वह भिक्षु वहां से सोने के सिक्के लेकर चले जाता है। और जब वह भिक्षु रास्ते पर जा रहा था तब उसs एक लुटेरा मिला और वह लुटेरा उस भिक्षु के पास है उस सोने की थैली को चुरा कर भाग गया।
वह भिक्षु पास में आए धन की चोरी हो जाने के कारण बहुत ही निराश हो जाता है और निराश मुखड़े पर वह अपने घर की ओर चले जाता है और फिर यह पूरी घटना अपनी पत्नी को बताता है कि मेरे साथ आज क्या हुआ और पास आए हुए धन मुझसे एक लुटेरे ने चुरा कर भाग गया।


उसके पास से सोने के सिक्के चोरी हो जाने के कारण वह फिर वैसे ही बन गया जैसे सोने की सिक्के मिलने से पहले था। फिर वह भिक्षु रोजाना की तरह भिक्षा मांगने के लिए निकल गया जव वह भिक्षा मांग रहा था तब वहां पर दोबारा वे 2 व्यक्ति मिले जिन्होंने उस भिक्षु को सोने के सिक्के दिए थे।

जब वह भिक्षु उस महान व्यक्ति से मिलता है तब वह उसके साथ हुए पूरी घटना को बताता है और फिर वह निराश मुख लिए उनके सामने खड़े रहता है तभी दास अपने पास से एक मोती निकालता है और उस मोती को इस भिक्षु को दे देता है। वह भिक्षु उस मोती को लेकर बहुत ही प्रसन्न हो और प्रसन्न होकर अपने घर की ओर  निकल पड़ता है।
जब वह भिक्षु घर पहुंचा तो वहां पर उसके घर में उसकी पत्नी नहीं थी उसकी पत्नी पानी भरने के लिए नदी गई हुई थी जब वह भिक्षु घर के अंदर गया तो वह सोचने लगा की मेरे पास तो इसे सुरक्षित रखने के लिए कोई अच्छा सा संदूक ही नहीं है क्यों ना मैं इस मोती को सुरक्षित रखने के लिए इस घड़े के अंदर रख दिया जाए।
वह घड़ा बहुत ही पुराना था और उसका उपयोग नहीं किया जा रहा था इसलिए उस भिक्षु ने उस मोती को घड़े के अंदर रख दिया। और यह सोचने लगा कि आप इस मोती को मैं बेचकर अपने लिए एक अच्छा सा घर बनाऊंगा और कुछ खेत खलियान खरीदूंगा यही सोचते-सोचते उसकी आंख लग गई। 
और वह गहरी नींद में सो गया।
जब उसकी पत्नी नदी से घड़े में पानी ला रही थी तो उसका पैर एक गड्ढे में आने के कारण वह फिसल कर गिर गई और वह मटका टूट गया जब वह मटका टूट गया तो वह बहुत निराश हो गई और सोचने लगी अब मैं पानी किस में ले जाऊं। तब उसे याद आया कि हां मेरे घर में एक और पुराना घड़ा रखा हुआ है।


क्यों ना मैं उस घड़े को लाकर फिर से पानी भर के ले जाऊं। और फिर उसने यही किया और वह घर जाकर उस घड़े को ले आई और उस घड़े में जो मोती रखा हुआ था उस मोती को उसने नहीं देखा और वह सीधे नदी में जाकर उस घड़ी को डुवा दी और वह मोती उस नदी की धार में बह गया।

जब वह पत्नी पानी लेकर घर पहुंची तो उसने देखा कि वे (भिक्षु) कुछ ढूंढ रहे थे और इधर उधर देख रहे थे तभी पत्नी ने अपने पति (भिक्षु) से पूछा कि आप क्या ढूंढ रहे हैं तब भिक्षु ने बोला यहां पर एक पुराना मटका रखा हुआ था वह कहां गया।
तब पत्नी ने पूरी बात बताई और फिर उसने यह बताएं कि मैं उसी पुराने मटकी में पानी लेकर आई हूं तभी भिक्षु फिर निराश हो गया और उस भिक्षु ने फिर अपनी पत्नी को पूरी घटना सुनाई कि मुझे फिर से दोबारा दोनों महान व्यक्ति मिले थे उन्होंने मुझे एक मोती दी थी उस मोती को मैंने इस पुराने मटकेे के अंदर रखा हुआ था और तुमने उसे नदी में बहा दिया।

यह बात बताते हुए वह भिक्षु बहुत निराश हो गया और फिर से उसकी जिंदगी पहले जैसी हो गई। वह फिर से भीख मांगनेे लगा। जब वह भिक्षु भिक्षा मांगने के लिए गया था तब फिर से वे दोनों महान व्यक्ति मिलेे। और उस भिक्षु ने फिर से अपनी बीती हुई घटना उन दोनों महान व्यक्ति से बताई।




तब इस बार वह धनवान व्यक्ति जो मालिक था उसने अपने जेब से दो सिक्कk निकालें यह सामान्य सिक्के थे जोकि वस्तुओं को खरीदने के लिए उपयोग किया जाता था। उस मालिक ने उस व्यक्ति को दे दिया। इस बार भी वह भिक्षु इस दोनों सिक्के को ले लिया और वहां से चले गया।
जाते जाते वह यह सोच रहा था की उसके दास ने तो मुझे सोने के सिक्के दिए और एक बेहतरीन मोती दिया जिसकी कीमत हजारों सोने के सिक्कों के बराबर है अब यह दो सामान्य सिक्के उस मालिक ने दिए हैं इसका क्या सामान खरीदूंगा, क्या घर तैयार होगा, सोचते सोचते वह जा रहा था।
तभी उसे एक मछुआरा दिखा वह नदी के किनारे मछली पकड़ रहा था वह भिक्षु बहुत ही दयालु था। इसी कारण वह सोचा। क्यों ना मैं इस मछुआरे से इस मछली को खरीद लूं और उसकी जान बचा लूं। तब वह भिक्षु वह मछुआरे से मछली खरीद कर उसे अपने कर कमंडल रख लेता है।

जब वह मछली को अपने कमंडल में रखता, उसी समय वह मछली से मोती निकल जाता है और जब वह देखता है की यह मछली से तो मोती निकला है जो कि मुझे वे दो महान व्यक्ति के द्वारा दिया गया था तो वहां जोर-जोर से चिल्लाने लगा। मिल गया, मिल गया, मिल गया,

तभी उसके पास से ही वह चोर गुजर रहा था उसने सोचा कि यह भिक्षु ने मुझे पहचान लिया है इसलिए यह मुझे सजा दिलवाने के लिए जोर जोर से चिल्ला रहा है तभी वह चोर उस भिक्षु के पास आता है और उससे चुराए हुए कुछ सोने के सिक्के उसके हाथों में दे देता है और उससे माफी मांगने लगता है कि मुझे बख्श दो, मैं आज के बाद ऐसी गलती नहीं करूंगा कृपया करके मुझे माफ कर दो।


वह चोर भिक्षु से माफी की भीख मांगने लगता है और कहता है मुझे सजा ना दिलवाओ मैं आपके सारे सोने के सिक्के तो नहीं लेकिन जो कुछ बचे हैं वह आपको लौटा देता हूं और उसे वे सोने के सिक्के भी मिल जाते हैं जो चोर के द्वारा चुरा कर ले गये थे। इस प्रकार उस व्यक्ति की जिंदगी फिर से हरी भरी हो जाती है।




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